मोदिया लड़ी बनारस से


 
बनारस एक अनोखा शहर है, इसके घाटों पर दुनिया भर के लोग मिल जाते हैं जो निर्वाण की तलाश में कई बार गाँजे की चिलम को अपना हमराही बना लेते हैं। इन्ही घाटों को को देख कर रामकृष्ण परमहंस ने कहा था कि इस शहर के लोगों का हाज़मा बहुत अच्छा है, घाट पर ही निवृत्त होकर भगत लोग गंगा नहाने चले जाते थे। कुछ दिनों पहले गपागप समाचार सेवा के विशेष रिपोर्टर मार्क तेली बनारस की यात्रा पर गए, शहर घूमने के इरादे से उन्होंने एक रिक्शेवाले को दिन भर के लिए बुक कर लिया।

मोदिया लड़ी बनारस सेइन्होने सोचा की ये एक गरीब पर एहसान कर लिए हैं तो रिक्शेवाले ने बताया की अंग्रेज लोग तो हफ़्तों के लिए बुक कर लेते हैं और दू चार दिन में ही पूरा पईसा दे कर हरिद्वार निकल जाते हैं योगा सीखने। कुछ बदमाश किसिम के भी अंगरेज-अंगरेजिन आते हैं जो कई बार कम उम्र वाले रिक्शा वालन को रात के लिए भी बुक करना चाहते हैं पर साहब हम रिक्शा वालन का भी कैरेक्टर होता है कौनो नरायन दत्त तिवारी थोड़े हैं की आज उत्तर परदेश के मुख्यमंत्री बनें तो काल चले जाएँ उत्तरखण्ड में सरकार बनावे। मारकंडे गुप्ता, जिनको प्यार से मार्क तेली कहा जाता है, रिक्शे वाले के शुरुआती ज्ञान से ही प्रभावित हो गए। मार्क लिखते हैं की स्टेशन से आगे बढ़ते ही रिक्शा गच्च से पानी में हेल गया, ये चिल्लाये की रुको, मेनहोल लगता है तो रिक्शेवाले ने बताया की साहब अभी घबड़ाओ जिन, हियाँ सब होल मेने है। पार लगायेंगे, रामभरोसे, बातचीत में पता चला की मार्क के सारथी का नाम रामभरोसे है।
मार्क ने बात शुरू की -भाई यहाँ का सांसद कौन है, स्टेशन के पास की सड़क पर ही गड्ढा है, शहर की छवि ख़राब होगी कि नहीं? रामभरोसे बोले -साहब अब छेदी क्या ख़राब होगी, तुलसी दास, कबीर दास और पता नहीं कितने इसी गड़हा से पार उतर गए, न जाने का का लिख पढ़ गए कोई सुधरबे नहीं किया तो छेदी क्या चीज है जो ख़राब होगी। हाँ सांसद मतलब एमपी होत है न, त उतो मुरली मनोहर जोशी डाक्टर हैं, सुना जात है की इंटर्नेशनल लेबल के नेता हैं, कभी कभार बनारस आय जात हैं, हवाई अड्डा से अपना होटल के बीच में समस्या निपटावट हैं अउर फिर उड़ जात हैं। मार्क – तो फिर आप लोग कुछ करते क्यों नहीं ? रामभरोसे – का साहब पढ़े लिखे लगते हैं, इ का कह रहे हैं ? आपे कुछ कर लेंगे का, तनी अपने वार्ड मेंबर के खिलाफ कुछ कर के दिखाईये, लटका देंगे सब अउर अंगरेजी बुकना भुला जायेंगे। अब मार्क के स्वाभिमान को धक्का लगा और बात को बदलने के लिए बोल पड़े — सुन रहे हैं की नरेन्द्र मोदी बनारस से चुनाव लड़ेंगे? रामभरोसे – हाँ साहब, हमहूँ सुन रहा हूँ। चलिए पहिले सुबह क टाईम घाट पर बैठ कर चाय पीजिये देखा जाएगा बनारस।
कुछ देर में रिक्शा किनारे लगा कर, घाट के कोने में एक चाय की दुकान पर बैठे लोकल विद्वानों के बीच ये दोनों भी बैठ गए। हाँ यार ये बताओ मोदी को वोट कौन देगा, अभी आप बता रहे हो कि भाजपा के सांसद ने कुछ किया ही नहीं,जबकि वो तो मोदी के पहले के नेता हैं, अयोध्या कांड में भी हैं और देश के मंत्री रह चुके हैं, विकास भी किया है । भोलू चाय वाले — हमहूँ सुन रहे कि अब मोदिया लड़ी बनारस से। लल्ला बजरंगी – अरे भोलुआ, इज्ज़त से नाम लियो, अगला परधान होए वाला है। इदरीस- काहें की इज्ज़त बे, भुला गए जब ऊ सोनियवा के इटली क कुत्ती बोल गवा रहा और उके बच्चवन के पिल्ला। बोले क तमीज न ह, चलें परधान बने। एसे ठीक त सरदार हौं, कम से कम चुप त रहलन। लल्ला – मियाँ देखो, मोदी जी के बोलबो त ठीक न होईये। केहू अउर के जवन मन तवन बोलो। रामभरोसे – साहब कल रेक्शा पर एक जने बैठी रहीं, ऊ कहत रहीं कि मोदी के त कंग्रेसीयन क बीबी बच्चा भी वोट दिहन। काहें से कि लगत बा कि बिकास मतलब मोदी। इदरीस- हाँ, अब बनारस में इहे होयिय्ये, मोदिये बचल रहल। आ जाव, बेटा वोट दिहो त ईहाँ बैठने वाले कौनो को फिर ईद के टाईम सेवई हमरे घर से त न जाई, जान लेवो। मार्क – अरे आप लोग ही लड़ने लगे, क्या मोदी के आने से दंगा भी हो सकता है यहाँ। इदरीस- साहब बनारस में त दंगा कमलापति तिरपाठी के साथै मर गिया। मार्क — क्या ? वो तो कांग्रेस के बड़े नेता थे, वो दंगा कराते थे ? रामभरोसे- आप कह रहे थे कि पत्तरकार हैं, इहो नहीं जानते। एक जमाना रहा की बनारस में पीएसी के जवान लोग दंगा के टाईम में आपन घर भर लेत रहें, साहब कमला गुरु के ओर से पूरा छुट रहे, बड़े नेता रहन, चाहे का न कर सकें। लेकिन मियाँ जी लोग लुटा पिटा जायं तब जा के दंगा बंद हो। कौन मुसलमानी दुकान न होय जवन सारे न लुटवाएन।
मार्क – तो क्या यहाँ के लोकल लोग दँगा नहीं करते थे क्या। भोलू — साहब, रोज़ा के टाईम में भी इदरीस मियाँ चाय के ठीहा पर रोज बैठकी लगावत हैं। गला के नीचे थूक भी नहीं जात है, इ हम लोगन क मोहब्बत है, इहाँ दुनिया भर क सरकार बना -बिगाड़ के सब हंसी -ख़ुशी घर जात हैं। हमरे बच्चन के अभिये से इंतजार हौ कि ईद में इदरीस चचा के घरे सेवई चाँपना है, मेहरारू कह रही है कि चाय में पानी बढ़ा दिओ लेकिन राशिदवा और जैबु के इदी में कटौती न करिओ। अब आपे बताओ इहाँ दंगा के करी, इदरीस क घर फूँके वालन के पहिले हमही फूँक देब।
मार्क – अजीब हैं आप लोग,फिर इदरीस जी मोदी ने भी तो शायद यही किया था, कुछ दिन बाद ही दंगे रोके फिर आप लोग क्यों … ? इदरीस- साहब,कांग्रेस सेकुलर पार्टी है और भाजपा ठीक नहीं है। बजरंगी — अबे मोदिया क भाजपा से का मतलब, अभी देख रमदेऊओ बोल रहा है की उनका सपोरट मोदी को है, भजप्पा को नहीं। अउर देखो मोदी के टीम में इहाँ भी गुजराती आया है, खबर तो इहो है कि काशी प्रान्त भजप्पा की बैठक में कई लोग बोलेन ह कि इस्तीफा दिहें, काहें से कि उमा भारती कुछ उखाड़े नहीं पायीं, उनकी टीम ने हम लोगों को भाव नहीं दिया अउर फिर बहरिये सब आय रहे हैं त लोकल कैडर का सपा क दलाली करिहे। इदरीस- लेकिन यार, बड़ा हल्ला है कि गुजरात में लाईन क हिसाब टाईट है, इहाँ बुनकर लोग क जिनगी बिज़ली बिना तबाह। अभहीं सब धरना -मोर्चा भी किये रहें, और बिरादरी में कुछ लोग भीतर कने कह रहे हैं कि अगर मोदी खाली बिज़ली भी दिवा देत ह त हर्जा का है, एक बार अजमावे के चाही। धरम कौनो खाए के त देत नाहीं, खाए के त धंधा से मिलिहे।
मार्क – और सुना है अन्नाजी भी बनारस आ रहे हैं। बिहारी मास्टर साहब — अरे आय तो रहे हैं, हमहूँ हैं आयोजन कमेटी में। भारत माता मंदिर में सभा है, साले बनारस के चोर सबसे चन्दा भी हम लोग बटोर लिए हैं। सभा के बाद इफ्तार का भी प्रोग्राम रखा रहा लेकिन बुढ़वा कह दिया की मोदी सांप्रदायिक नहीं हैं, अब का किया जाय हम लोग फोन कियेन अन्ना के घुमावे वालन के कि  भईया कौनो मियाँ इफ्तारी में न अयिहें, हलुवाई क पईसा भी डूब जाई। खंडन करवाओ,न त ओहरे रखे रहो अपने अन्ना बाबा को। अब देखिये,खंडन तो हो गया है लेकिन बाबा की तबेत खराब हो गयी है।
रामभरोसे — त अन्नवा जी के सोच समझ के बोले चाही न, पूरा देश देख रहा है। इदरीस- अबे सोच समझ के बोले आता तो रेक्सा न चलाते, ई धंधा में काहें आते। मास्टर – मियाँ, होश में बात कर। अन्नाजी देश सुधारने चले हैं, हमको जरुरत है कि उनके साथ खड़े रहें, कंधे से कन्धा मिलाएं। इदरीस– अबे अभी त तुही गरिया रहे थे की सोच समझ के बोलता नहीं, वैसे भी किसी के भी इफ्तार में पक्का मियाँ तो जायेगा नहीं, साला रोज़ा हराम हो जायेगा। अब हमको समझा रहे हो?
मास्टर — देखिये, हम ताव में बोल गए। अन्ना जी हमारे हैं, व्यवस्था परिवर्तन में हम साथ हैं।  भोलू — त मास्टर जब तक अन्नाजी क प्रोग्राम होगा चाय क पैसा आपे दिहो, कार्यकर्त्ता लोगन के खर्चा के नाम पर। अउर अब इहाँ से तनी जगह खाली करो अंग्रेजन का बैच आ रहा है। मार्क — तो अंग्रेज लोग भी आप की चाय पीते हैं ? भोलू — साहब ,खूब मन से पीते हैं, कई तो बाद में कुल्हड़वा भी चबा जाते हैं। बजरंगी — लेकिन साहब, अंग्रेजन को ऊ ठीहा की चाय अधिक पसंद आती है जो बनाते समय खाली इन सबके लिए चाय में थोड़ा सा कुछ मिला देत हैं कि हलकी मस्ती आवत है। भोलू — अबे चुप, बाहरी आदमी से भीतर की बात करता है। नहीं साहब ये लोग अच्छे ग्राहक होते हैं, खाली अंग्रेजी बोलते हैं, चाय पीकर, पैसा दिए, चलते बने।  तभी विदेशियों का ग्रुप वहाँ आकर बैठ गया। मार्क की रूचि बनारस से हट कर नीचे रामनामी लपेटे और ऊपर सैंडो गंजी पहिने अंगरेजिन में बढ़ गयी। ये बिना पूछे उसको बताने लगे कि इण्डिया में कल्चर बहुत भारी है, दुनिया में ऐसा देश कहीं नहीं है। तभी एक विदेशी महिला भीगे बदन वहां आई और कहने लगी की जब वो होली गैन्गेज में नहा रही थी तो उसका कपड़ा लेकर कौनो भाग गया। रामनामी वाली मार्क से बोलती है की अभी तुम अपनी कल्चर के बारे में बता रहे थे और आगे मेरी इस किताब में पढ़ लो की ‘इण्डिया में लोग बिना वजह महिलाओं से चिपकने की कोशिश करते हैं, वहाँ लैंड करने के बाद से वापस जहाज में बैठने तक हर जगह ठगे जाने की सम्भावना रहती है। इण्डिया के लोगों को तो आदत है पर विदेश वालों को सावधान रहना चाहिए, नहीं तो तकलीफ हो सकती है ‘
अब मार्क तेली का दिमाग झनझना गया और उनका उत्साह ख़तम हो गया। उन्होंने रामभरोसे को बोला कि भाई, अब यहाँ से चला जाय, कुछ और नहीं दिखाओगे? रामभरोसे —- साहब, अभी तो शुरुआत है। उठ जाईये, पीछे सांड मूत रहा है, चलिए चला जाय।
(courtesy gapagap.com)